दिल तो परेशान था

28 अगस्त से शुरु हुई भागदौड़ अभी चल ही रही है। समय अनेक अनुभव देता है। इस बार भी मिला। एक अनुभव कोरोना के समय हुआ था, एक अब हुआ, शायद उतना ही हिलाकर रख देने वाला।

मार्च में पति हेमन्त को हृदयाघात हुआ था जिससे सम्हलना शुरु हो चुका था। एक arterie में दो स्टंट डाले गये थे और डाक्टर्स का कहना था कि बाकी दो में लगभग तीन महीने बाद स्टंट डलेंगे। उसके बाद कोरोना फैला, हमें भी हुआ। परेशानियां आईं, पति दो बार अस्पताल पहुंचे, फिर हम सब ठीक होने लगे।

किन्तु दिल तो परेशान था ही। अस्पताल पहुंचे, हेमन्त के दिल का हाल जानने के लिए। 28 अगस्त को स्टटिंग के लिए डाक्टर ने एंजियोग्राफ़ी की, आपरेशन थियेटर में हेमन्त थे, किन्तु चिकित्सक बिना स्टंट डाले बाहर आये और हमें बताया कि पहले से डाले गये स्टंट में भी ब्लाॅकेज आ गई है और बाकी दो में 80 व 90 प्रतिशत ब्लाॅकेज है जिसका निदान केवल बाय-पास सर्जरी है। हम हक्के-बक्के। हेमन्त ओटी में, एंजियोग्राफ़ी हो रही है और डाक्टर हमसे पूछ रहे हैं कि स्टंट डलवाने हैं या बायपास करवाना है? अब क्या करें। डाक्टर ने निर्णय हम पर छोड़ दिया कि यदि हम बाय पास नहीं करवाना चाहते तो वे तो स्टंट डाल देंगे किन्तु कोई गारंटी नहीं।

अब प्रश्न कि पहले स्टंट क्यों खराब हुए? उनका कहना था कि कोई कोई बाडी रिएक्ट कर जाती है और स्टंट एक्सेप्ट नहीं करती।

बिना स्टंट डलवाये ओटी से घर!!!

अब क्या ??????

डाक्टर्स ने हमें अगले दिन सारी रिपोर्ट्स दे दीं कि हम चाहें तो कहीं और जांच करवा सकते हैं। 15-20 दिन का समय हम लें लें।

घर में हर समय तनाव रहता कि स्टंट या बाय पास?????

किन्तु हमें कहीं और जाने का समय ही नहीं मिला, 1 सितम्बर को प्रातः दिल में दबाव शुरु हुआ और हम अस्पताल। अब तो बायपास के अतिरिक्त विकल्प ही नहीं था। एमरजैंसी में एडमिट। फिर सोडियम कम था 118, जब तक सोडियम 135 नहीं पहुंचता, आपरेशन नहीं हो सकता।

3 सितम्बर को अनायास आवाज़ लगती है कि हेमन्त केattendant ब्लड बैंक पहुंचे। हम फिर हक्के-बक्के कि क्या आपरेशन शेड्यूल हो गया। वहां बताया गया कि तीन या चार दिन बाद आपरेशन होगा जब तक सोडियम ठीक नहीं हो जाता। इस बीच हमें रक्त एवं प्लेटलैट्स का प्रबन्ध करना होगा। चार यूनिट ब्लड और एक प्लेटलैट्स।

आपके पास नहीं है क्या? नहीं । और किसी भी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्था से खरीदा हुआ रक्त भी नहीं चाहिए, सीधे रक्तदाता से ही रक्त लेंगे। यह बाद की बात है कि फिर ब्लड बैंक, रैडक्रास, अन्य अस्पतालों से मिलने/उपलब्ध रक्त का क्या महत्व? और यह भी जानकारी मिली कि, whole blood, PRBC, FFP रक्त के प्रकार होते हैं और हमें PRBC चाहिए।

अब ब्लड ग्रुप रेयर।AB-Negetive !!!!!

पति ICU में अपना सोडियम बढ़ा रहे थे और हम रक्त की तलाश में लग गये। मोबाईल बजने लगे। सबसे पहले अपने सभी सम्बंधियों को पूछा, किसी का है ब्लड ग्रुप AB-Negetive। किसी का नहीं। दूसरी ओर मित्र, परिचित आदि। एक मित्र राकेश मौर्य ने अन्य मित्र निर्मल का नम्बर दिया कि वे एक रक्तदान समूह से जुड़े हैं। वहां से चक्र घूमना शुरु हुआ। किन्तु समस्या यह कि डाक्टर्स ने आपरेशन की तारीख और समय नहीं दिया था क्योंकि सोडियम जब तक बिल्कुल ठीक नहीं हो जाता, आपरेशन शैड्यूल नहीं हो सकता था। सामने से सभी पूछते आपरेशन कब है, शायद सोम या मंगल को। हमारे पास न तारीख न समय। चंडीगढ़, पंचकूला, मोहाली तो कुछ भी नहीं, दिल्ली, यमुनानगर, भटिंडा, यहां तक कि वाराणसी और न जाने कहां-कहां तीन दिन तक 10-10 घंटे हम केवल फोन ही करते रहे रक्त की तलाश में। कितने ही फ़ोन सामने से आये जहां तक किसी ने हमारी ज़रूरत पहुंचा दी थी। बिल्कुल अपरिचित, दूर शहर और मदद का प्रयास। दिल हिलकर रह गये हमारे। आगे से आगे सम्पर्क सूत्र मिलते रहे और अन्त में इतनी मेहनत काम आई। एक रक्तदाता दिल्ली से आकर रक्त देकर गये। ज़ीरकपुर से एक रक्तदाता प्लेटलेट्स देकर गये जिन्हें हमने प्रिजर्व करवाया। जब कोई रक्तदाता AB-Negetive मिलता और आने का वादा करता तो जब तक अगले दिन तक वह आ नहीं जाता, हमारी जान अटकी रहती कि नहीं आया तो क्या? और फोन करें कि नहीं, करें तो कैसे और क्या कहेंगे। अगर दो आ गये तो मना कैसे करेंगे? 3 सितम्बर से 6 सितम्बर तक रक्त की खोज में हम जिस तनाव में रहे, शब्दातीत है और नितान्त अपरिचित लोगों ने जितना सहयोग दिया वह भी शब्दातीत एवं अकल्पनीय अनुभव रहा। धन्यवाद, आभार, थैंक यू जैसे शब्द बहुत छोटे हैं इन सब संस्थाओं और व्यक्तियों के लिए। इस बीच प्रतीक्षा कक्ष में बैठे लोगों के दुख-तकलीफ़ भी देखे। आमने-सामने बैठे सब मिलकर अपने-अपने मन का बोझ हल्का कर रहे थे।

अन्ततः 7 सितम्बर को सोडियम भी ठीक और बायपास सर्जरी भी ठीक। सबकी शुभकामनाएं काम आईं।बायपास सर्जरी एमरजैंसी में ही हुई पर अभी भी मन कहता है कि शायद स्टंट से भी दिल ठीक हो जाता, किन्तु मैं यह नहीं कहती कि भगवान जाने। मैं कहती हूं डाक्टर्स जानें, उन पर हमने पूरा भरोसा किया और हेमन्त अच्छी रिकवरी कर रहे हैं।