कैसे मना रहे हम अपने राष्ट्रीय दिवस

हमें स्वतन्त्र हुए

इतने

या कितने वर्ष हो गये,

इस बार हम

कौन सा

गणतन्त्र दिवस

या स्वाधीनता दिवस

मनाने जा रहे हैं,

गणना करने लगे हैं हम।

उत्सवधर्मी तो हम हैं ही।

सजने-संवरने में लगे हैं हम।

गली-गली नेता खड़े हैं,

अपने-अपने मोर्चे पर अड़े हैं,

इस बार कौन ध्वज फ़हरायेगा

चर्चा चल रही है।

स्वाधीनता सेनानियों को

आज हम इसलिए

स्मरण नहीं कर रहे

कि उन्हें नमन करें,

हम उन्हें जाति, राज्य और

धर्म पर बांध कर नाप रहे।

सड़कों पर चीखें बिखरी हैं,

सुनाई नहीं देती हमें।

सैंकड़ों जाति, धर्म वर्ग बताकर

कहते हैं

हम एक हैं, हम एक हैं।

किसको सम्मान मिला,

किसे नहीं

इस बात पर लड़-मर रहे।

मूर्तियों में

इनके बलिदानों को बांध रहे।

पर उनसे मिली

अमूल्य धरोहर को कौन सम्हाले

बस यही नहीं जान रहे।