कृष्ण एक अवतार बचा है ले लो
अपने जन्मदिवस पर,
आनन्द पूर्वक,
परिवार के साथ,
आनन्दमय वातावरण में,
आनन्द मना रही थी।
पता नहीं कहां से
कृष्ण जी पधारे,
बोले, परसों मेरा भी जन्मदिन था।
करोड़ों लोगों ने मनाया।
मैं बोली
तो मेरे पास क्या करने आये हो?
मैंने तो नहीं मनाया।
बोले,
इसी लिए तो तुम्हें ही
अपना आशीष देने आया हूं,
बोले] जुग-जुग जीओ बेटा।
पहले तो मैंने उन्हें डांट दिया,
अपना उच्चारण तो ठीक करो,
जुग नहीं होता, युग होता है।
इससे पहले कि वह
डर कर चले जाते,
मैंने रोक लिया और पूछा,
हे कृष्ण! यह तो बताओ
कौन से युग में जीउं ?
मेरे इस प्रश्न पर कृष्ण जी
तांक-झांक करने लगे।
मैंने कहा, केक खाओ,
और मेरे प्रश्न सुलझाओ।
हर युग में आये तुम।
हर युग में छाये तुम।
पर मेरी समझ कुछ छोटी है
बुद्धि ज़रा मोटी है।
कुछ समझाओ मुझे तुम।
पढ़ा है मैंने
24 अवतार लिए तुमने।
कहते हैं
सतयुग सबसे अच्छा था,
फिर भी पांच अवतार लिये तुमने।
दुष्टों का संहार किया
अच्छों को वरदान दिया।
त्रेता युग में तीन रूप लिये
और द्वापर में अकेले ही चले आये।
कहते हैं,
यह कलियुग है,
घोर पाप-अपराध का युग है।
मुझे क्या लेना
किस युग में तुमने क्या किया।
किसे दण्ड दिया,
और किसे अपराध मुक्त किया।
एक अवतार बचा है
ले लो, ले लो,
नयी दुनिया देखो
इस युग में जीओ,
केक खाओ और मौज करो।