आशाओं को रंगीन किया है
कुछ भाव नि:शब्द होते हैं
आकार देती हूं
उन्हें कागज़ पर।
दूरियां सिमटती हैं।
अबोल,
बोल होने लगते हैं।
तुम्हांरे नाम
कुछ शब्द लिखे हैं
भावों को रूप दिया है
आशाओं को रंगीन किया है
कुछ इन्द्रधनुष उकेरे हैं
कहीं कुछ बूंदों बहकी
कुछ शब्द् मिट से गये हैं
समझ सको तो समझ लेना
जोड़-जोड़कर पढ़ लेना।
अधूरे रंगों को पूरा कर लेना।