आतंक मन के भीतर पसरा है
शांत है मेरा शहर फिर भी देखो डरे हुए हैं हम
न चोरी न डाका फिर भी ताले जड़े हुए हैं हम
बाहर है सन्नाटा, आतंक मन के भीतर पसरा है
बेवजह डर डर कर जीना सीखकर बड़े हुए हैं हम
शांत है मेरा शहर फिर भी देखो डरे हुए हैं हम
न चोरी न डाका फिर भी ताले जड़े हुए हैं हम
बाहर है सन्नाटा, आतंक मन के भीतर पसरा है
बेवजह डर डर कर जीना सीखकर बड़े हुए हैं हम