अर्थ का अनर्थ

शब्द बदल देने से

भाव बदल जाते हैं।

नाम-मात्र से

युद्धों के

परिणाम बदल जाते हैं।

बात कुंजर की थी,

नर कहा गया,

महाभारत का युद्ध पलट गया।

नाम वही है,

पर आधी बात सुनने से

कभी-कभी

अर्थ का अनर्थ हो जाता है।

गज-गामिनी,

मदमस्त चाल कहने से

कभी-कभी

व्यंग्य-कटाक्ष हो जाता है।

इसलिए

जब भी शब्द चुनो

सोच-समझकर चुनना,

कहने से पहले दो बार सोचना,

क्योंकि

मद-मस्त चलने वाला

जब भड़कता है

तब

शहर किसने देखे,

जंगल के जंगल

उजड़ जाते हैं।

शुक्र मनाईये,

ये शहर की ओर नहीं देखते,

नहीं तो हम-आप

अभयारण्य में होते।