अजीब होती हैं ये हवाएँ भी
अजीब होती हैं
ये हवाएँ भी।
बहुत रुख बदलती हैं
ये हवाएँ भी।
फूलों से गुज़रती
मदमाती हैं
ये हवाएँ भी।
बादलों संग आती हैं
तो झरती-झरती-सी लगती हैं
ये हवाएँ भी।
मन उदास हो तो
सर्द-सर्द लगती हैं
ये हवाएँ भी।
और जब मन में झड़ी हो
तो भिगो-भिगो जाती हैं
ये हवाएँ भी।
क्रोध में बहुत बिखरती हैं
ये हवाएँ भी।
सागर में उठते बवंडर-सा
भीतर ही भीतर
सब तहस-नहस कर जाती हैं
ये हवाएं भी।
इन हवाओं से बचकर रहना
बहुत आशिकाना होती हैं
ये हवाएँ भी।