अंगूठा-छाप

एक समय की बात है जब हम छोटे हुआ करते थे। उस समय अशिक्षित का यह कह कर उपहास किया जाता था कि रहा तू अंगूठा-छाप का अंगूठा-छाप ही। जो बच्चे अच्छे-से पढ़ते नहीं थे उन्हें भी यह कर डराया जाता था कि पढ़-लिख ले, नहीं तो फ़लां की तरह अंगूठा-छाप ही रह जायेगा, फिर ढोना खेतों में मिट्टी और करना खेतों में मज़दूरी। इन अंगूठा-छापों के लिए एक नीले रंग की रंगीन टीन की छोटी-सी डिब्बी-सी रखी रहती थी जिस पर अंगूठा लगवाने वाला अंगूठा ठोक कर उठवाता था और किसी भी कागज़ पर लगवा लेता था। अंगूठा-छाप होना बड़ा अपमानजनक माना जाता था।

 किन्तु यह उस समय की बात है जब लोग अंगूठे का महत्व नहीं समझते थे। जब से आधार कार्ड आया, हमें भी अंगूठे का महत्व समझ आया। आज आधार-कार्ड का अंगूठा ही आपकी पहचान है। अब याद कीजिए आपने आधार कार्ड बनाने वाले को कौन-सा अंगूठा दिखाया था।

आप जानना चाहेंगे मुझे आज अंगूठे की याद क्यों आई और कहां से चलकर आई। यह तो आप जानते ही हैं कि एक विद्यालय में कार्यरत हूं। विद्यालयों में विभिन्न परीक्षाओं के केन्द्र संचालित होते हैं। यहां पिछले सप्ताह हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अन्तर्गत ग्रुप डी के कर्मचारियों के चयन हेतु परीक्षा केन्द्र स्थापित था। अब आप सोच रहे होंगे यह ग्रुप डी क्या है, अंग्रेज़ी में एक महत्वपूर्ण पोस्ट लगती है किन्तु हिन्दी में इसे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कहते हैं।

अन्य विवरणों के अतिरिक्त इस पद हेतु भरे जाने वाले फ़ार्म में आवेदक का अंगूठा चाहिए] यहां भी भेद-भाव की नीति रही। लड़कियों का दायां और लड़कों का बायां। किन्तु चाहिए वही जो आधार कार्ड पर है नहीं तो दो सौ रूपये गये पानी में । हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग बहुत खुले दिल का है। आयु सीमा कर दी 25&42 और $ 5 वर्ष। इससे भी अधिक कि इस बहाने आप हरियाणा घूम सकें अधिकांश आवेदकों का परीक्षा केन्द्र उनके अपने शहर का नहीं बनाया गया, इस प्रकार उन्होंने पर्यटन को भी बढ़ावा दिया।

अब आईये परीक्षा केन्द्र के द्वार पर चलते हैं। बड़े-बड़े बैग उठाये अम्यर्थी पंक्तियों में लगे हैं। किन्तु परीक्षा केन्द्र के भीतर घड़ी, मोबाईल तो क्या गले, कान, नाक में भी कुछ नहीं ले जा सकते। पैन भी हम ही देंगे, बस आप परीक्षा दीजिए। साढ़े दस बजे परीक्षा के लिए साढ़े आठ बजे आपको अपने सम्पूर्ण चैकअप के लिए उपस्थित होना होगा। सबसे पहले आपके अंगूठे-छाप वाले प्रवेश-पत्र का निरीक्षण और उसके बाद निकालिए अपना अंगूठा। भौंचक से हरियाणे के छोरे-छोरे छोरियां देख रहे उस रंगीन-सी रोशन हरी डब्बी को, जिसमें बाउ ने कहा अंगूठा दिखा। अब छोरे-छोरियां तो उस डब्बी को देखें जायें। छोरे ने दायां हाथ आगे बढ़ाया, बाउ बोलया, अरे दायां नहीं उल्टा अंगूठा जो आधार कार्ड पर लगाया था, छोरे ने बाउ की शकल देखी और अंगूठा उल्टा कर दिया, नाखून वाला हिस्सा नीचे और बाकी हाथ उपर। सिर पर हाथ मारयो, चलो जैसे तैसे वहां तीन-तीन बार अंगूठे लेकर पहुंच गये अपणी -अपणी सीटां ते। 

अब आगे की कहाणी सुनो।

पेपर ऐसे सील बन्द कि रिजर्व बैंक के नोट भी न रखे जाते होंगे। कई तहों के बीच से निकले परीक्षा पत्र अन्ततः अभ्यथिर्यों के सामने रख दिये गये। अब फिर निकालो अपना वही अंगूठा। एक-दो नहीं पांच बार और लगवाया अंगूठा, तब जाकर चैन पड़ा।

अब आई परीक्षा देने की बारी। किसी-किसी ने तो वो दानेदान पेपर देखया ही पहली बार। देखें जाये उसे उलट-पलट कर। कोई बात नहीं उनको भी रास्ता दिखा दियो।

आपको स्मरण होगा कि मैंने बताया था कि परीक्षा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए है। चलिए आप सबके लिए प्रश्न-पत्र के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों का  संक्षेप में अवलोकन करते हैं -

----बाईक पर थियेटर योजना किसने शुरू की।

-उच्च क्रियाशील धातु कौन-सी है- सीसा, लोहा, तांबा, जस्ता

-नाभिकीय खनिज और नाभिकीय उर्जा संयत्र

-लाला लाजपतराय, होम रूल आंदोलन हषवर्धन, दोड्डबेट्टा, बू अली शाह कलंदर आदि पर प्रश्न।

---चंडीगढ़ उच्च न्यायालय की इमारत का डिज़ाईन किसने बनाया।

---जूही चावला हरियाणा के किस ज़िले की है।

--इल्बर्ट बिल विवाद के साथ कौन- सा वायसराय जुड़ा था।

--बहू शब्‍द का बहुवचन रूप क्‍या है।

उच्च क्रियाशील धातु कौन-सी है- सीसा, लोहा, तांबा, जस्ता

-नाभिकीय खनिज और नाभिकीय उर्जा संयत्र

-लाला लाजपतराय, होम रूल आंदोलन, हषवर्धन, दोड्डबेट्टा, बू अली शाह कलंदर आदि पर प्रश्न।

-चंडीगढ़ उच्च न्यायालय की इमारत का डिज़ाईन किसने बनाया।

-जूही चावला हरियाणा के किस ज़िले की है।

इल्बर्ट बिल विवाद के साथ कौन- सा वायसराय जुड़ा था।

एक बहुत पुराना हास-परिहास है। एक डाकिये का साक्षात्कार चल रहा था। डाकिये से पूछा गया कि बताओ धरती से सूरज की दूरी कितनी है। प्रत्याशी बोला , महोदय यदि डाक इस रूट पर बांटनी है तो मुझे यह नौकरी नहीं चाहिए।

नौकरियों का झूठा झांसा देकर क्यों बरबाद किया जा रहा है इस पीढ़ी को।