वामा
हमारे ग्रंथों में लिखे वाक्य
हमारे लिए आप्त वाक्य हैं
ऐसा ही कहते हैं सब।
कोई विरोध नहीं,
कोई चर्चा नहीं,
कोई मतभेद नहीं।
इन ग्रंथों में
ऐसा ही कुछ लिखा है
स्त्री के बारे में
कि पुरुष की वामा है वह।
हमारे ग्रंथ कहते हैं
स्त्रियों की उत्पत्ति
शिव के वाम अंग से हुई
इसी कारण
हर स्त्री वामांगी, अर्धांगिनी कहलाई।
सारे कर्मों में स्त्री को
पुरुष के
वाम अंग में ही रहना चाहिए।
कुछ बातें समझ न सकी मैं
इसलिए
प्राचीन कथाओं में चली गई।
वहाॅं जाकर ज्ञानवृद्धि हुई मेरी।
प्रथम यह
कि कुछ कर्म सांसारिक होते हैं
और कुछ पारलौकिक।
लौकिक ओर पारलौकिक
तो आप समझते ही होंगे न।
सांसारिक कर्मों में
स्त्री पुरुष की वामांगी है
और पारलौकिक कर्मों में
स्त्री दाईं ओर चली जाती है।
पता नहीं आप समझे या नहीं,
स्त्री की आवश्यकता
लौकिक कार्यों तक ही सीमित है।
अलौकिकता के आते ही
उसके वामांगी के, अर्धागिंनी के
सारे अधिकार
छीन लिये जाते हैं
और वह दाईं ओर चली जाती है।