मज़बूरी से बड़ी होती है जिद्द
सुना है मैंने,
रेत पर घरौंदे नहीं बनते।
धंसते हैं पैर,
कदम नहीं उठते।
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वैसे ऐसा भी नहीं
कि नामुमकिन हो यह।
सीखते-सीखते
सब सीख जाता है इंसान,
‘गर मज़बूरी हो
या जिद्द।
.
मज़बूरी से बड़ी होती है जिद्द,
और जब जिद्द हो,
तो रेत क्या
और पानी क्या,
घरौंदे भी बनते हैं ,
पैर भी चलते हैं,
और ऐसे ही कारवां भी बनते हैं।