ज़िन्दगी बोझ नहीं लगती

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

ज़िन्दगी को बोझ नहीं मानते हैं।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

अपने साथ

अपने-आप जीना जानते हैं।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

अपने लिए जीना जानते हैं।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

अपनी बात

अपने-आपसे कहना जानते हैं।

 

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

औरों से अपेक्षाएॅं नहीं करते जाते  हैं।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

एक के बदले चार की

चाहत नहीं रखते हैं

प्यार की कीमत नहीं मॉंगते हैं।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

औरों को उतना ही समझते हैं

जितना हम चाहते हैं

कि वे हमें समझें।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

अपने-आप पर हॅंसना जानते हैं।

ज़िन्दगी तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

अपने-आप पर

हॅंसना और रोना नहीं जानते हैं।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

रो-रोकर अपने-आपको

अपनी ज़िन्दगी को

कोसते नहीं रहते हैं।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

औरों की ज़िन्दगी देख-देखकर

ईर्ष्या से मर नहीं जाते हैं।

 

ज़िन्दगी

तब तक बोझ नहीं लगती

जब तक हम

मन में स्वीरोक्ति का भाव नहीं लाते हैं।