इसे राजनीति कहते हैं

आजकल हम

एक अंगुली से

एक मशीन पर

टीका करते हैं,

किसी की

कुर्सी खिसक जाती है,

किसी की टिक जाती है।

कभी सरकारें गिर जाती हैं,

कभी खड़ी हो जाती हैं।

हम हतप्रभ से

देखते रह जाते हैं,

हमने तो किसी और को

टीका किया था,

अभिषेक

किसी और का चल रहा है।