जीने की चाहत

जीवन में

एक समय आता है

जब भीड़ चुभने लगती है।

बस

अपने लिए

अपनी राहों पर

अपने साथ

चलने की चाहत होती है।

बात

रोशनी-अंधेरे की नहीं

बस

अपने-आप से बात होती है।

जीवन की लम्बी राहों पर

कुछ छूट गया

कुछ छोड़ दिया

किसी से नहीं कोई आस होती है।

न किसी मंज़िल की चाहत है

न किसी से नाराज़गी-खुशी

बस अपने अनुसार

जीने की चाहत होती है।