जीवन का गणित
बालपन से ही
हमें सिखा दी जाती हैं
जीवन जीने के लिए
अलग-अलग तरह की
न जाने कितनी गणनाएं,
जिनका हल
किसी भी गणित में
नहीं मिलता।
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लेकिन ज़िन्दगी की
अपनी गणनाएं होती हैं
जो अक्सर हमें
समझ ही नहीं आतीं।
यहां चलने वाला
जमा-घटाव, गुणा-भाग
और न जाने कितने फ़ार्मूले
समझ से बाहर रहते हैं।
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ज़िन्दगी
हमारे जीवन में
कब क्या जमा कर देगी
और कब क्या घटा देगी,
हम सोच ही नहीं सकते।
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क्या ऐसा हो सकता है
कि गणित के
विषय को
हम जीवन से ही निकाल दें,
यदि सम्भव हो
तो ज़रूर बताना मुझे।