विश्व की सर्वश्रेष्ठ कृति
वह, अपने आप को
विश्व की
सर्वश्रेष्ठ कृति समझता है।
उसके पास
दो बड़े-बड़े हाथ हैं।
और अपने इन
बड़े-बड़े दो हाथों पर
बड़ा गर्व है उसे।
अपने इन बड़े बड़े दो हाथों से
बड़े-बड़े काम कर लेता है वह।
ये गगनचुम्बी इमारतें,
उंचे-उंचे बांध, धुआं उगलती चिमनियां,
सब, उसके, इन्हीं हाथों की देन हैं ।
चांद-तारों को छू लेने का
दम भरता है वह।
प्रकृति को अपने पक्ष में
बदल लेने की क्षमता रखता है वह।
अपने-आपको
जगत-नियन्ता समझने लगा है वह।
बौना कर लिया है उसने
सबको अपने सामने ।
पैर की ठोकर में है
उसके सारी दुनिया।
किन्तु
जब उसके पेट में
भूख का कीड़ा कुलबुलाता है
तब उसके,
यही दो बड़े-बड़े हाथ
कंपकंपाने लगते हैं
और वह अपने इन
बड़े-बड़े दो हाथों को
एक औरत के आगे फैलाता है
और गिड़गिड़ाता है
भूख लगी है, दो रोटी बना दे।
भूख लगी है, दो रोटी खिला दे।