ज़िन्दगी के साथ एक और तकरार

अक्सर मन करता है

ज़िन्दगी

तुझसे शिकायत करुं।

न  जाने कहां-कहां से

सवाल उठा लाती है

और मेरे जीने में

अवरोध बनाने लगती है।

जब शिकायत करती हूं

तो कहती है

बस

सवाल एक छोटा-सा था।

लेकिन,

तुम्हारा एक छोटा-सा सवाल

मेरे पूरे जीवन को

झिंझोड़कर रख देता है।

उत्तर तो बहुत होते हैं

मेरे पास,

लेकिन देने से कतराती हूं,

क्योंकि

तर्क-वितर्क

कभी ख़त्म नहीं होते,

और मैं

आराम से जीना चाहती हूं।

बस इतना समझ ले

ज़िन्दगी

तुझसे

हारी नहीं हूं मैं

इतनी भी बेचारी नहीं हूं मैं।