लिखने को तो बहुत कुछ है

पढ़ने की ललक है,

आगे बढ़ने की ललक है।

न जाने कहां तक

राह खुली है ,

और कहां ताला बन्द है।

आजकल

विज्ञापन बहुत हैं,

बनावट बहुत है,

तरह तरह की

सजावट बहुत है।

सरल-सहज

कहां जीवन रह गया,

कसावट बहुत है।

राहें दुर्गम हैं,

डर बहुत है।

 

पढ़ ले, पढ़ ले।

आजकल

पढ़ी-लिखी लड़कियों की

डिमांड बहुत है।

पर साथ-साथ

चूल्हा-चौका-घिसाई भी सीख लेना,

उसके बिना

लड़कियों का जीवन

नरक है।

अंग्रज़ी में गिट-पिट करना सीख ले,

पर मानस भी रट लेना ,

यह भी जीवन का जरूरी पक्ष है।

तुम्हारी सादगी, तुम्हारी यह मुस्कुराहट

आकर्षित करती है,

पर

सजना-संवरना भी सीख ले,

यहां भी होना दक्ष है।

लिखने को तो बहुत कुछ है,

पर कलम रोकती है,

चुप कर ,

यहां बहुत बड़ा विपक्ष है।