ये चांद है अदाओं का

चांद

यूं ही तो नहीं

चमकता है आसमान में।

उसकी भी अपनी अदाएं हैं।

किसी को तो चांद सी

सूरत दे देता है

और किसी के जीवन में

चांद से दाग

और किसी किसी के लिए तो

कभी चांद निकलता ही नहीं

बस

अमावस्या ही बनी रहती है जीवन भर।

बस एक भ्रम पालकर

जिन्दगी जी लेते हैं

कि चांद है उनकी जिन्दगी में

क्योंकि जब

चांद आसमान में है

तो कुछ तो उनकी

जिन्दगी में भी होगा ही।

और कहीं कहीं तो कभी

चांद डूबता ही नहीं,

बस पूर्णिमा ही बनी रहती है।

इसलिए इस भ्रम में

या  इस गणना में मत रहना

कि इतने दिन बाद

चौथ का चांद

आ जायेगा जीवन में,

या अमावस्या या पूर्णिमा,

उसकी मर्ज़ी आये या न आये