बालपन को जी लें
अपनी छाया को पुकारा, चल आ जा बालपन को फिर से जी लें
यादों का झुरमुट खोला, चल कंचे, गोली खेलें, पापड़, इमली पी लें
कैसे कैसे दिन थे वे सड़कों पर छुपन छुपाई, गुल्ली डंडा खेला करते
वो निर्बोध प्यार की हंसी ठिठोली, चल उन लम्हों को फिर से जी लें