अपने बारे में क्या लिखूं। डा. रघुवीर सहाय के शब्दों में ‘‘बहुत बोलने वाली, बहुत खाने वाली, बहुत सोने वाली’’ किन्तु मेरी रचनाएं बहुत बोलने वालीं, बहुत बोलने वालीं, बहुत बोलने वालीं
बारिश के बाद धूप निखरी आंसुओं के बाद मुस्कान बिखरी बदलते मौसम के एहसास हैं ये फूल खिलखिलाए, महक बिखरी