प्रण का भाव हो
निभाने की हिम्मत हो
तभी प्रण करना कभी।
हर मन आहत होता है
जब प्रण पूरा नहीं करते कभी ।
कोई ज़रूरी नहीं
कि प्राण ही दांव पर लगाना,
प्रण का भाव हो,
जीवन की
छोटी-छोटी बातों के भाव में भी
मन बंधता है, जुड़ता है,
टूटता है कभी ।
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जीवन में वादों का, इरादों का
कायदों का
मन सोचता है सभी।
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चाहे न करना प्रण कभी,
बस छोटी-छोटी बातों से,
भाव जता देना कभी ।