द्वार खुले हैं तेरे लिए
विदा तो करना बेटी को किन्तु कभी अलविदा न कहना
समाज की झूठी रीतियों के लिए बेटी को न पड़े कुछ सहना
खीलें फेंकी थीं पीठ पीछे छूट गया मेरा मायका सदा के लिए
हर घड़ी द्वार खुले हैं तेरे लिए,उसे कहना,इस विश्वास में रहना
विदा तो करना बेटी को किन्तु कभी अलविदा न कहना
समाज की झूठी रीतियों के लिए बेटी को न पड़े कुछ सहना
खीलें फेंकी थीं पीठ पीछे छूट गया मेरा मायका सदा के लिए
हर घड़ी द्वार खुले हैं तेरे लिए,उसे कहना,इस विश्वास में रहना