जूझना पड़ता है अकेलेपन से
कभी-कभी दूरियां
रिश्तों को पास ले आती है
उलझे रिश्तों को सुलझाती हैं
राहें बदलकर जीवन में
आस ले आती हैं
कभी तो चलें साथ-साथ
और कभी-कभी
चुनकर चलें दो राहें,
जीवन आसान कर जाती हैं।
जीवन सदैव
सहारों से नहीं चलता
ये सीख दे जाती हैं
कदम-दर-कदम
जूझना पड़ता है
अकेलेपन से,
ढूंढनी पड़ती हैं
आप ही जीवन की राहें
अंधेरों और उजालों में
पहचान हो पाती है,
कठोर धरातल पर तब
ज़िन्दगी आसान हो जाती है।
फिर मुड़कर देखना एक बार
छूटे हाथ फिर जुड़ते हैं
और ज़िन्दगी
सहज-सहज हो जाती है।