कोहरे की ओट में
कोहरे की ओट में ज़िन्दगी ठहर सी गई है
आकाश और धरा एकमेक होकर रह गई है
न सूरज निकलता है न चांद-तारे दिखते हैं
प्रकाश राह ढूंढता, मेरी किरण कहां रह गई है
कोहरे की ओट में ज़िन्दगी ठहर सी गई है
आकाश और धरा एकमेक होकर रह गई है
न सूरज निकलता है न चांद-तारे दिखते हैं
प्रकाश राह ढूंढता, मेरी किरण कहां रह गई है