और हम हार लिए खड़े हैं

पाप का घड़ा

अब फूटता

 नहीं।

जब भराव होता है

तब रिसाव होता है

बनते हैं बुत

कुर्सियों पर जमते हैं।

परत दर परत

सोने चांदी के वर्क

समाज, परिवार,धर्म, राजनीति

सब कहीं जमाव होता है।

 

फिर भराव होता है

फिर रिसाव होता है

फिर बनते हैं बुत

 

और हम हार लिए खड़े हैं.........