उदित होते सूर्य से पूछा मैंने
उदित होते सूर्य से पूछा मैंने, जब अस्त होना है तो ही आया क्यों
लौटते चांद-तारों की ओर देख, सूरज मन ही मन मुस्काया क्यों
कभी बादल बरसे, इन्द्रधनुष निखरा, रंगीनियां बिखरीं, मन बहका
परिवर्तन ही जीवन है, यह जानकर भी तुम्हारा मन भरमाया क्यों