अपने ही घर को लूटने से
कुछ रोशनियां अंधेरे की आहट से ग्रस्त हुआ करती हैं
जलते घरों की आग पर कभी भी रोटियां नहीं सिकती हैं
अंधेरे में हम पहचान नहीं पाते हैं अपने ही घर का द्वार
अपने ही घर को लूटने से तिज़ोरियां नहीं भरती हैं।
कुछ रोशनियां अंधेरे की आहट से ग्रस्त हुआ करती हैं
जलते घरों की आग पर कभी भी रोटियां नहीं सिकती हैं
अंधेरे में हम पहचान नहीं पाते हैं अपने ही घर का द्वार
अपने ही घर को लूटने से तिज़ोरियां नहीं भरती हैं।